इस पोस्ट में हम भारत के प्रमुख जलप्रपात - Bharat Ke Pramukh Jalprapat, waterfalls of India in Hindi, in map, pdf, trick, list को पडेंगे।
भारत के प्रमुख जलप्रपात टॉपिक आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- Bank, SSC, Railway, RRB, UPSC आदि में सहायक होगा।
आप Bharat Ke Jalprapat in Hindi का PDF भी डाउनलोड कर सकते है।
भारत के प्रमुख जलप्रपात - Bharat Ke Jalprapat
नदी के मार्ग में जब कभी उच्चावच में अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है तो नदी का जल ऊंचे भाग से खड़े ढाल के सहारे नीचे गिरता हुआ अपना मार्ग बनाता है जहां ऐसी आकृतियां देखने को मिलती है। उसे जलप्रपात कहते हैं।
विक्टोरिया जलप्रपात
विक्टोरिया जलप्रपात जिम्बाव्वे में जेम्बेजी नदी पर स्थित है। यह जलप्रपात विश्व के सात आश्चर्यों में गिना जाता है। विश्व के शानदार जल प्रपातों में से यह प्रपात दूसरे नम्बर पर रखा जाता है। विक्टोरिया जलप्रपात को स्थानीय भाषा में 'मोसी-ओआ-तुन्या' कहा जाता है।
इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी-ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।
विक्टोरिया जलप्रपात का निर्माण जेम्बेजी नदी से होता है।
इस जलप्रपात में गिरने से पहले जेम्बेजी नदी काफ़ी चौड़ी हो जाती है, पर ज्यादा गहरी नही है। इसमें कई उप-नदियां भी आकर मिली हैं।
प्रपात से पहले जेम्बेजी नदी में 'लुआम्पा' और 'कुआन्डो' नाम की दो बड़ी नदियां भी आकर मिलती हैं।
विक्टोरिया जलप्रपात विश्व का सबसे बड़ा एकल प्रपात है, जो बेसाल्ट घाटियों में मीलो तक शोर करता है।
इस जलप्रपात में जल के गिरने की आवाज़ किसी के भी रौंगटे खड़े कर सकती है। ऐसा लगता है कि मानो पूरी जेम्बेजी नदी ही यहाँ से कूद पड़ी हो।
मुख्य जलप्रपात सबसे लंबा है, इसे 'मेन फ़ाल्स' कहते हैं।
विक्टोरिया जलप्रपात में जल इतने जोरों से गहराई में गिरता है कि आस-पास 20 किलोमीटर तक धुंध दिखाई देती है। उससे होने वाली बौछार उँचे जाकर वर्षा की तरह गिरती है। इसी की वजह से यहां रेन फॉरेस्ट बना हुआ है।
इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी-ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।
विक्टोरिया जलप्रपात का निर्माण जेम्बेजी नदी से होता है।
इस जलप्रपात में गिरने से पहले जेम्बेजी नदी काफ़ी चौड़ी हो जाती है, पर ज्यादा गहरी नही है। इसमें कई उप-नदियां भी आकर मिली हैं।
प्रपात से पहले जेम्बेजी नदी में 'लुआम्पा' और 'कुआन्डो' नाम की दो बड़ी नदियां भी आकर मिलती हैं।
विक्टोरिया जलप्रपात विश्व का सबसे बड़ा एकल प्रपात है, जो बेसाल्ट घाटियों में मीलो तक शोर करता है।
इस जलप्रपात में जल के गिरने की आवाज़ किसी के भी रौंगटे खड़े कर सकती है। ऐसा लगता है कि मानो पूरी जेम्बेजी नदी ही यहाँ से कूद पड़ी हो।
मुख्य जलप्रपात सबसे लंबा है, इसे 'मेन फ़ाल्स' कहते हैं।
विक्टोरिया जलप्रपात में जल इतने जोरों से गहराई में गिरता है कि आस-पास 20 किलोमीटर तक धुंध दिखाई देती है। उससे होने वाली बौछार उँचे जाकर वर्षा की तरह गिरती है। इसी की वजह से यहां रेन फॉरेस्ट बना हुआ है।
अब्बे झरना, कर्नाटक
अब्बे झरना कर्नाटक राज्य के कोडगु जिले में स्थित एक खूबसूरत जलप्रपात है।अब्बे झरना मदिकेरी से लगभग 8 किमी और बेंगळूरू से लगभग 268 किमी की दूरी पर है।
अब्बे झरना एक निजी कॉफ़ी बागान के भीतर है।
अब्बे झरना को देखने के लिए पर्यटक यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं।
मॉनसून के दिनों में अब्बे झरने की सुंदरता देखते ही बनती है।
अमृतधारा जल प्रपात, छत्तीसगढ़
अमृतधारा जल प्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया ज़िले में स्थित है। सम्पूर्ण भारत में कोरिया को प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।इस ज़िले को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और सँवारा है।
यहाँ चारों ओर प्रकृति के मनोरम दृश्य बिखरे पड़े हैं। इन्हीं में से एक 'अमृतधारा जल प्रपात' है, जो कि हसदो नदी पर स्थित है।
प्रपात की सुन्दरता
कोरिया ज़िला अपने पूरे घने जंगलों, पहाड़ों, नदियों और झरनों से भरा पड़ा है।
प्रपात की सुन्दरता
कोरिया ज़िला अपने पूरे घने जंगलों, पहाड़ों, नदियों और झरनों से भरा पड़ा है।
अमृतधारा प्रपात
अमृतधारा प्रपात कोरिया में सबसे प्रसिद्ध प्रपातों मे से एक है। छत्तीसगढ़ में कोरिया भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक रियासत थी।
अमृतधारा जल प्रपात एक प्राकृतिक झरना है, जहाँ से हसदो नदी का जल गिरता है।
यह झरना मनेन्द्रगढ़-बैकुन्ठपुर सड़क पर स्थित है।
भारत के छत्तीसगढ़ में अमृतधारा प्रपात कोरिया ज़िले में है, जिसका जल 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
वह बिंदु जहाँ पानी गिरता है, वहाँ एक बड़ा ही प्यारा-सा बादल के जैसा माहौल चारों ओर बन जाता है, जिससे प्रपात की सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं।
अमृतधारा जल प्रपात एक बहुत ही शुभ शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
अमृतधारा जल प्रपात एक बहुत ही शुभ शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
इस जगह के आस-पास एक बहुत प्रसिद्ध मेला हर साल आयोजित किया जाता है।
मेले का आयोजन रामानुज प्रताप सिंह जूदेव, जो कोरिया राज्य के राजा थे, ने वर्ष 1936 में किया गया था। महाशिवरात्रि के उत्सव के दौरान इस जगह मे मेले का आयोजन होता है, जिस दौरान यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उपस्थित होती है।
उसरी झरने की ऊँचाई लगभग 40 फीट है और यह तीन धाराओं में नीचे गिरता है।
उसरी झरना उसरी नदी का उदगम स्थल है।
इसके पास पिकनिक मनाना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है क्योंकि वह यहाँ पर पिकनिक मनाने के साथ-साथ पारसनाथ पहाड़ी के मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं।
उसरी झरना, झारखंड
उसरी झरना झारखंड के शहर गिरिडीह की पूर्व दिशा में 14 किमी की दूरी पर उसरी झरना स्थित है।उसरी झरने की ऊँचाई लगभग 40 फीट है और यह तीन धाराओं में नीचे गिरता है।
उसरी झरना उसरी नदी का उदगम स्थल है।
इसके पास पिकनिक मनाना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है क्योंकि वह यहाँ पर पिकनिक मनाने के साथ-साथ पारसनाथ पहाड़ी के मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं।
चित्रकूट अथवा चित्रकोट जलप्रपात, छत्तीसगढ़
चित्रकूट अथवा चित्रकोट जलप्रपात सभी मौसम में छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले में इन्द्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है।हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य में और भी बहुत-से जलप्रपात हैं, किन्तु चित्रकूट जलप्रपात सभी से बड़ा है।
आप्लावित रहने वाला यह जलप्रपात पौन किलोमीटर चौड़ा और 90 फीट ऊँचा है।
इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है।
इस प्रपात से इन्द्रावती नदी का जल प्रवाह लगभग 90 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है।
चित्रकूट जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है।
इस प्रपात से इन्द्रावती नदी का जल प्रवाह लगभग 90 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है।
चित्रकूट जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
सधन वृक्षों एवं विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती है।
'भारतीय नियाग्रा' के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट प्रपात वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु वर्षा ऋतु में इसे देखना अधिक रोमांचकारी अनुभव होता है।
'भारतीय नियाग्रा' के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट प्रपात वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु वर्षा ऋतु में इसे देखना अधिक रोमांचकारी अनुभव होता है।
वर्षा में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देती है।
आकार में यह झरना घोड़े की नाल के समान है और इसकी तुलना विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा झरनों से की जाती है।
वर्षा ऋतु में इन झरनों की ख़ूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है।
जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए उचित है।
चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विराजमान हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।
रात में इस जगह को पूरा रोशनी के साथ प्रबुद्ध किया गया है। यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकते हैं।
अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।
आकार में यह झरना घोड़े की नाल के समान है और इसकी तुलना विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा झरनों से की जाती है।
वर्षा ऋतु में इन झरनों की ख़ूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है।
जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए उचित है।
चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विराजमान हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।
रात में इस जगह को पूरा रोशनी के साथ प्रबुद्ध किया गया है। यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकते हैं।
अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।
धुआँधार प्रपात, मध्य प्रदेश
धुआँधार प्रपात मध्य प्रदेश के जबलपुर के निकट स्थित एक बहुत ही सुन्दर जल प्रपात है।भेड़ाघाट में जब नर्मदा नदी की ऊपरी धारा विश्व प्रसिद्ध संगमरमर के पत्थरों पर गिरती है, तो जल की सूक्ष्म बूँदों से एक धुएँ जैसा झरना बन जाता है, इसी कारण से इसका का नाम 'धुआंधार प्रपात' रखा गया है।
यह प्रपात नर्मदा नदी का जल प्रपात है, जो जबलपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
घुआंधार प्रपात अपनी शांति और सुन्दर दृश्यावली से पर्यटकों का मन मोह लेता है।
इसका जल लगभग 95 मीटर की ऊँचाई से गिरता है।
यहाँ से जल गिरने की गति बहुत ही तेज़ है।
इस प्रपात की गर्जना दूर-दूर तक सुनी जा सकती है।
इस आकर्षक जल प्रपात में जल की नन्हीं बूँदें बिखरकर धुँए का दृश्य बना देती हैं।
इसलिए इसे 'धुँआधार प्रपात' के नाम से जाना जाता है
यह प्रपात नर्मदा नदी का जल प्रपात है, जो जबलपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
घुआंधार प्रपात अपनी शांति और सुन्दर दृश्यावली से पर्यटकों का मन मोह लेता है।
इसका जल लगभग 95 मीटर की ऊँचाई से गिरता है।
यहाँ से जल गिरने की गति बहुत ही तेज़ है।
इस प्रपात की गर्जना दूर-दूर तक सुनी जा सकती है।
इस आकर्षक जल प्रपात में जल की नन्हीं बूँदें बिखरकर धुँए का दृश्य बना देती हैं।
इसलिए इसे 'धुँआधार प्रपात' के नाम से जाना जाता है
हुंडरू जलप्रपात, झारखण्ड
हुंडरू जलप्रपात झारखण्ड राज्य का सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात है। यह रांची से क़रीब 42 किलो मीटर दूर स्वर्णरेखा नदी के किनारे है।वर्षा ऋतु में इस झरने को देखने के लिए पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।
यह सुन्दर झरना राँची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है।
हुंडरू जलप्रपात 74 मीटर यानी क़रीब 243 फीट की उंचाई से गिरता है।
यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।
वर्षा के दिनों में इस जलप्रपात की धारा मोटी हो जाती है।
यह सुन्दर झरना राँची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है।
हुंडरू जलप्रपात 74 मीटर यानी क़रीब 243 फीट की उंचाई से गिरता है।
यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।
वर्षा के दिनों में इस जलप्रपात की धारा मोटी हो जाती है।
इन दिनों में तो इसका दृश्य और भी सुंदर व मनमोहक हो जाता है।
इसी जलप्रपात से सिकीदरी में पनबिजली का उत्पादन किया जाता है।
इसी जलप्रपात से सिकीदरी में पनबिजली का उत्पादन किया जाता है।
जोन्हा जलप्रपात
जलप्रपात झारखण्ड की राजधानी राँची से 40 कि.मी. दूर टाटा-राँची मार्ग पर 'तईमारा' नामक गाँव के निकट स्थित है। यहाँ भगवान गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसके चलते इसे 'गौतम धारा' भी कहा जाता है।राँची-मूरी मार्ग से दक्षिण में स्थित यह प्रपात भी राँची पठार की भ्रंश रेखा पर निर्मित है।
इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 150 फीट है।
जोन्हा प्रपात राढू नदी पर स्थित है। इसके पास में ही 'सीताधारी' नामक एक छोटा प्रपात भी है।
जलप्रपात हर दिन पर्यटकों की भीड़ से चहल-पहल भरा रहता है।
जोन्हा जलप्रपात पर बुद्ध का प्रसिद्ध मंदिर है और पर्यटक भगवान बुद्ध के मन्दिर के दर्शन के लिए भी जाते है।
इसके आस-पास का नज़ारा भी बहुत ख़ूबसूरत है, जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देता है।
राजरप्पा जलप्रपात, झारखण्ड
राजरप्पा जलप्रपात झारखण्ड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।रामगढ़ कैंट (हज़ारीबाग़ ज़िला) से पूरब की ओर क़रीब 25 किलोमीटर की दूरी पर राजरप्पा जलप्रपात स्थित है।
अनोखे प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर इस जलप्रपात का धार्मिक महत्त्व भी है।
प्रतिवर्ष इस स्थान पर मेला भी आयोजित किया जाता है।
राजरप्पा जलप्रपात दामोदर नदी और भेड़ा नदी के संगम पर अवस्थित है।
प्रतिवर्ष इस स्थान पर मेला भी आयोजित किया जाता है।
राजरप्पा जलप्रपात दामोदर नदी और भेड़ा नदी के संगम पर अवस्थित है।
जोग प्रपात, कर्नाटक
जोग प्रपात को जरस्पा प्रपात भी कहा जाता है। यह शिमोगा, कर्नाटक से 104 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।एशिया के सबसे ऊँचे जल प्रपात के रूप में जाना जाने वाला जोग प्रपात कर्नाटक का मुख्य पर्यटक स्थल और आकर्षण का केन्द्र है।
जोग प्रपात अरब सागर में नदी के मुहाने के पास स्थित होनावर से 29 कि.मी. प्रतिकूल दिशा में स्थित है।
यह 253 मीटर की ऊँचाई से एक गहरी खाई में गिरता है और चार धाराओं में बंट जाता है, जिन्हें 'राजा' या घोड़े की नाल, 'रोरर', 'रॉकेट' और 'रानी' या 'ला डेम ब्लांशे' कहा जाता है।
यह प्रपात लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और इसे नदी के दोनों किनारों पर बने बंगलों से देखा जा सकता है।
धारा में नीचे की ओर जोग में एक विशाल पनबिजली परियोजना स्थापित की गई है।
जोग प्रपात अरब सागर में नदी के मुहाने के पास स्थित होनावर से 29 कि.मी. प्रतिकूल दिशा में स्थित है।
यह 253 मीटर की ऊँचाई से एक गहरी खाई में गिरता है और चार धाराओं में बंट जाता है, जिन्हें 'राजा' या घोड़े की नाल, 'रोरर', 'रॉकेट' और 'रानी' या 'ला डेम ब्लांशे' कहा जाता है।
यह प्रपात लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और इसे नदी के दोनों किनारों पर बने बंगलों से देखा जा सकता है।
धारा में नीचे की ओर जोग में एक विशाल पनबिजली परियोजना स्थापित की गई है।
दूधसागर झरना
दूधसागर झरना गोवा-कर्नाटक की सीमा के पास मांडवी नदी पर स्थित एक जलप्रपात है।दूधसागर शब्द का अर्थ है 'दूध के सागर'। यह झरना विश्व के सुंदर और लोकप्रिय झरनों में से एक है।
यह झरना पणजी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूधसागर झरना सबसे ऊँचे झरनों की सूची में भारत में 5 वें और विश्व में 227वें स्थान पर है।
इस झरना की ऊँचाई 310 मीटर और औसत चौड़ाई 30 मीटर है। दूधसागर झरना मानसून के दौरान पर्यटकों को ज़्यादा आकर्षित करता है।
लोध जलप्रपात नेतरहाट से 16 किमी की दूरी पर है।
लोध जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं।
लोध जलप्रपात प्रदेश के सबसे ऊँचाई के झरने हैं जो 468 फीट की ऊँचाई से गिरते है।
लोध जलप्रपात इतना ख़ूबसूरत हैं कि जो भी पर्यटक यहाँ आते हैं वह इनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।
लोध जलप्रपात, झारखण्ड
लोध जलप्रपात झारखण्ड राज्य के लातेहार ज़िले में स्थित एक झरना है।लोध जलप्रपात नेतरहाट से 16 किमी की दूरी पर है।
लोध जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं।
लोध जलप्रपात प्रदेश के सबसे ऊँचाई के झरने हैं जो 468 फीट की ऊँचाई से गिरते है।
लोध जलप्रपात इतना ख़ूबसूरत हैं कि जो भी पर्यटक यहाँ आते हैं वह इनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।
हिरणी जलप्रपात, झारखण्ड
हिरणी जलप्रपात झारखण्ड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।यह जलप्रपात राँची-चाईबासा मार्ग पर राँची से क़रीब 72 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में स्थित है।
यह प्रपात जंगल के बीच है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
इस प्रपात की जलधारा 61 मीटर यानी क़रीब 200 फीट की उंचाई से गिरती है।
झारखण्ड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से यह जलप्रपात भी है।[
कुमरकम से कच्ची सड़क से 2 किमी पर यह सुंदर पिकनिक स्थल है, जहां जलधाराओं का शोर गूंजता है।
यहाँ 100 फीट की ऊंचाई से गिरते जलप्रपात के दहाड़ सुनाई देती है।
पर्यटक यहां रबर बगानों की छांह का भी आनंद लेते हैं।
यह जलप्रपात महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग ज़िले में स्थित है।
यह लगभग 690 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
इस जलप्रपात के क्षेत्र के निकट से ही गोवा राज्य की सीमा प्रारम्भ हो जाती है
सदनी जलप्रपात, झारखण्ड
सदनी जलप्रपात झारखण्ड की राजधानी राँची में स्थित है। राँची के पश्चिमी क्षेत्र यानी गुमला ज़िले में शंख नदी पर सदनी जलप्रपात है।इस प्रपात की जलधारा 61 मीटर यानी क़रीब 200 फीट की उंचाई से गिरती है।
झारखण्ड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से यह जलप्रपात भी है।[
अरुविक्कुझी जलप्रपात, केरल
अरुविक्कुझी जलप्रपात केरल राज्य के कोट्टयम शहर से 18 किमी दूर स्थित है।कुमरकम से कच्ची सड़क से 2 किमी पर यह सुंदर पिकनिक स्थल है, जहां जलधाराओं का शोर गूंजता है।
यहाँ 100 फीट की ऊंचाई से गिरते जलप्रपात के दहाड़ सुनाई देती है।
पर्यटक यहां रबर बगानों की छांह का भी आनंद लेते हैं।
आम्बोली घाट जलप्रपात, महाराष्ट्र
आम्बोली घाट जलप्रपात महाराष्ट्र में एक रमणीक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है।यह जलप्रपात महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग ज़िले में स्थित है।
यह लगभग 690 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
इस जलप्रपात के क्षेत्र के निकट से ही गोवा राज्य की सीमा प्रारम्भ हो जाती है
ककोलत जलप्रपात, बिहार
ककोलत जलप्रपात बिहार के नवादा ज़िला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व प्रखण्ड में स्थित है। यह जलप्रपात प्राचीन काल से प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।आज़ादी से पूर्व घने जंगल और दुर्गम रास्तों के बावजूद यह जलप्रपात अंग्रेज़ों के लिए गर्मी में प्रमुख पर्यटक केंद्र हुआ करता था।
सात पर्वत श्रृंखलाओं से प्रवाहित होने वाला ककोलत जलप्रपात और इसकी प्राकृतिक छटा बहुत सारे कोतुहलों को जन्म देती है। यह एक ऐसा जलप्रपात है, जो सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से देश के किसी भी जलप्रपात से कम नहीं है।
इस प्रपात से लगभग 100 फुट की ऊँचाई से जल नीचे गिरता है।
यहाँ स्थित एक विशाल शिवलिंग भी आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।
नीलकंठ जलप्रपात, छत्तीसगढ़
नीलकंठ जलप्रपात बसेरा छत्तीसगढ़ राज्य में 'गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान' के अंतर्गत सघन वन से घिरा हुआ है।इस प्रपात से लगभग 100 फुट की ऊँचाई से जल नीचे गिरता है।
यहाँ स्थित एक विशाल शिवलिंग भी आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।
काकोचांग जलप्रपात
यह असम के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यह गोलाघाट जिला, असम में बोकाखाट से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्रकृति के स्वर्ग में स्थित एक सुंदर जलप्रपात है।
यह जलप्रपात जिले के कॉफी और रबर के बागानों के बीच में से व्यापक रूप से नीचे आते हुए दृश्य को असाधारण रूप से सुंदर बनाता है।
काकोचांग जलप्रपात एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है और स्थानीय लोग और पर्यटक अक्सर यहां आते हैं।
पिकनिक मनाने वालों के लिए झील के चारों ओर बहुत अच्छी जगह है।
यहाँ से नुमालीगढ़ में प्राचीन खंडहर देख सकते हैं। इन प्राचीन खंडहरों का विशेष पुरातात्विक मूल्य है।
नुमालीगढ़ में देव पर्वत खंडहर आते समय काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटक आसानी से काकोचांग झरने के लिए एक दिन की यात्रा की योजना बना सकते हैं।
बोकाखाट राष्ट्रीय उद्यान से सिर्फ 23 किलोमीटर की दूरी पर है।
झरने की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मानसून के बाद का है, जब भारी वर्षा के कारण जलप्रपात प्रचुर मात्रा में पानी के साथ तेज़ी से गिरता है।
Important facts
भारत के जल प्रपातों की संख्या नगण्य है। सभी जलप्रपात छोटें हैं। अधिकांश दक्षिण भारत में ही पाये जाते हैं। देश के प्रमुख जलप्रपात निम्नवत हैं -जोग अथवा गरसोप्पा अथवा महात्मा गाँधी प्रापात, शरावती नदी पर (ऊंचाई 255 मी.)। इस जलप्रपात के निर्माण में राजा, राकेट, रोरर तथा दाम ब्लाचे नामक चार जलप्रपातों का योगदान रहता है।
शिवसमुद्रम जलप्रपात, कावेरी नदी पर (ऊंचाई 90 मी.)
गोकक प्रपात, कृष्णा नदी की सहायक गोकक नदी पर (ऊंचाई 55 मी.)
येना जल प्रपात, महाबलेश्वर के समीप (ऊंचाई 183 मी.)
पाइकारा जलप्रपात, नीलगिरि के पर्वतीय क्षेत्र में
धुआँधार जलप्रपात, टोंस नदी पर (ऊंचाई 100 मी.)
झारखण्ड जलप्रपात, टोंस नदी पर (ऊंचाई 100 मी.)
चूलिया जलप्रपात, चम्बल नदी पर (कोटा के समीप, ऊंचाई 18 मी.)
मधार जलप्रपात, नर्मदा नदी पर (ऊंचाई 12 मी.)
पुनासा जलप्रपात, नर्मदा नदी पर (ऊंचाई 12 मी.)
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3 Comments
Great please share more PDFs
ReplyDeleteVery good sir
ReplyDeleteJankari ke liye dhanyawad sir....
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