इस पोस्ट में हम bharat ki nadiya, pdf, notes, list, map, rivers of india in hindi pdf, notes को पढ़ेगे।
भारत की नदियां पोस्ट आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC, BANK, UPSC, RAJRAS RAILWAYS आदि में सहायक होगा।
आप bhart ki nadiya pdf in hindi का pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।
Bharat ki Nadiya PDF in Hindi | भारत की नदियां
भारत का अपवाह तंत्र
नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है।
नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है।
नदी दो प्रकार की होती है. सदानीरा या बरसाती।
सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियाँ बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं।
गंगा, यमुनाए कावेरी, ब्रह्मपुत्र आदि सदानीरा नदियाँ हैं।
भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ।
आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेन्द्रण नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है।
प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है।
नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः हिमालय से निकलने वाली नदियाँ(सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र), प्रायद्वीपीय नदी(नर्मदा, कावेरी, महानदी) प्रणाली है।
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ | Himalaya ki Nadiya
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्लेशियरों( हिमानी या हिमनद) के पिघलने से बनी हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्तर प्रवाह बना रहता है।
हिमालय की नदियों के बेसिन बहुत बड़े हैं एवं उनके जलग्रहण क्षेत्र सैकड़ों-हजारों वर्ग किमी. में फैले हैं।
हिमालय की नदियों को तीन प्रमुख नदी-तंत्रों में विभाजित किया गया है।
सिन्धु नदी-तंत्र, गंगा नदी-तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र।
इन तीनों नदी-तंत्रों का विकास एक अत्यन्त विशाल नदी से हुआ, जिसे ‘शिवालिक’ या हिन्द-ब्रह्म नदी भी कहा जाता था।
यह नदी ओसम से पंजाब तक बहती थी।
प्लीस्टोसीन काल में जब ‘पोटवार पठार का उत्थान’ हुआ तो यह नदी छिन्न-भिन्न हो गई एवं वर्तमान तीन नदी तंत्रों में बंट गई। इस संबंध में भूगर्भ वैज्ञानिकों के मत एक नहीं है।
सिन्धु नदी-तंत्र
सिन्धु तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट ‘चेमायुंगडुंग’ ग्लेशियर से निकलती है।
यह 2,880 किमी. लम्बी है।
भारत में इसकी लम्बाई 1,114 किमी.(पाक अधिकृत सहित, केवल भारत में 709 किमी.) है।
इसका जल संग्रहण क्षेत्र 11.65 लाख वर्ग किमी. है।
सिन्धु की सहायक नदियां
दायीं ओर से मिलने वाली - श्योक, काबुल, कुर्रम, गोमल।
बायीं ओर से मिलने वाली - सतलज, व्यास, रावी, चिनाब एवं झेलम की संयुक्त धारा(मिठनकोट के पास) तथा जास्कर, स्यांग, शिगार, गिलगिट।
1960 में हुए ‘सिन्धु जल समझौते’ के अन्तर्गत भारत सिन्धु व उसकी सहायक नदियों में झेलम और चेनाब का 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है जबकि सतलज, रावी के 80 प्रतिशत जल का उपयोग कर सकता है।
सिन्धु नदी भारत से होकर तत्पश्चात् पाकिस्तान से हो कर और अंतत: कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है।
झेलम नदी
यह पीरपंजाल पर्वत की श्रेणी में शेषनाग झील के पास वेरीनाग झरने से निकलती है और बहती हुई वूलर झील में मिलती है और अंत में चिनाब नदी में मिल जाती है।
इसकी सहायक नदी किशनगंगा है, जिसे पाकिस्तान में नीलम कहा जाता है।
श्रीनगर इसी नदी के किनारे बसा है।
श्रीनगर में इस पर ‘शिकार’ या ‘बजरे’ अधिक चलाए जाते हैं।
चिनाब नदी
यह नदी सिन्धु नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
जो हिमाचल प्रदेश में चन्द्रभागा कहलाती है।
रावी नदी
इस नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के समीप है।
यह पंजाब की पांच नदियों में सबसे छोटी है।
व्यास
इसका उद्गम स्थल भी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के निकट व्यासकुंड है।
यह सतलज की सहायक नदी है।
यह कपूरथला के निकट ‘हरिके’ नामक स्थान पर सिन्धु से मिल जाती है।
यह पुर्ण रूप से भारत में(460-470 किमी.) बहती है।
सतलज नदी
यह तिब्बत में मानसरोवर के निकट राकस ताल से निकलती है और भारत में शिपकीला दर्रे के पास से प्रवेश करती है।
भाखड़ा नांगल बांध सतलज नदी पर बनाया गया है।
गंगा नदी
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से भागीरथी के रूप में निकलकर देवप्रयाग में अलकनंदा एवं भागीरथी के संगम के बाद संयुक्त धारा गंगा नदी के नाम से जानी जाती है।
इलाहाबाद के निकट गंगा से यमुना मिलती है जिसे संगम या प्रयाग कहा जाता है।
प. बंगाल में गंगा दो धाराओं में बंट जाती है एक धारा हुगली नदी के रूप में अलग होती है जबकि मुख्यधारा भागीरथी के रूप में आगे बढ़ती है।
ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में जमुना के नाम से भागीरथी(गंगा) में मिलती है।
इनकी संयुक्त धारा को पद्मा कहा जाता है।
पद्मा नदी में बांग्लादेश में मेघना नदी मिलती है।
बाद में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र की संयुक्त धारा मेघना से मिलने के बाद मेघना के नाम से आगे बढ़ती है और छोटी-छोटी धाराओं में बंटने के बाद बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा माना जाता है।
जिसका विस्तार हुगली और मेघना नदियों के बीच है।
सुन्दरी वृक्ष की अधिकता के कारण इसे ‘सुन्दर वन डेल्टा’ कहा जाता है।
डेल्टा
नदी जब सागर या झील में गिरती है तो वेग में कमी के कारण मुहाने पर उसके मलबे का निक्षेप होने लगता है जिससे वहां विशेष प्रकार के स्थल रूप का निर्माण होता है।
इस स्थल रूप को डेल्टा कहते हैं।
सहायक नदियां
बांयी ओर मिलने वाली - गोमती, घाघरा, गण्डक, बूढ़ीगंगा, कोशी, महानंदा, ब्रह्मपुत्र।
दांयी ओर मिलने वाली - यमुना, टोंस, सोन।
उत्तराखंड के सबसे फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऋषिकेश में गंगा नदी पर देश का पहला ग्लास फ्लोर ब्रिज बनाया जाएगा।
लक्ष्मण झूला के बराबर में बनने वाले इस ब्रिज का फर्श मजबूत पारदर्शी कांच का होगा।
94 वर्षों से ऋषिकेश की पहचान बने लक्ष्मण झूला को सुरक्षा कारणों से जुलाई 2019 में बंद कर दिया गया था।
यमुना नदी
यह गंगा की सबसे लम्बी(1,370 किमी.) सहायक नदी है।
यह बंदरपूंछ श्रेणी पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से निकलती है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियां हिंडन, ऋषि गंगा, चंबल, बेतवा, केन एवं सिंध है।
रामगंगा नदी
यह नैनीताल(गैरसेण के निकट गढ़वाल की पहाड़ीयां) से निकलकर कन्नौज के समीप गंगा में मिलती है।
गोमती
यह उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जनपद से निकलती है एवं गाजीपुर के निकट गंगा में मिलती है।
किनारे बसे शहर - लखनऊ, जौनपुर व गाजीपुर।
घाघरा(सरयु) नदी
यह नेपाल के मपसा तुंग हिमानी से निकलती है एवं बिहार के छपरा के निकट गंगा में मिलती है।
सहायक नदियां - राप्ती एवं शारदा।
किनारे बसे शहर - अयोध्या, फैजाबाद, बलिया।
गण्डक नदी
नेपाल में शालिग्रामी नदी नाम से जानी जाती है।
भारत में पटना के निकट गंगा नदी में मिलती है।
कोसी नदी
7 धाराओं से मुख्य धारा अरूण नाम से माउण्ट एवरेस्ट के पास गोसाईथान चोटी से निकलती है।
भागलपुर जनपद में गंगा नदी में मिलती है।
बार-बार अपना रास्ता बदलने एवं बाढ़ लाने के कारण यह नदी बिहार का शोक कहलाती है।
हुगली नदी
प. बंगाल में गंगा की वितरिका के रूप में इसका उद्गम होता है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
तमसा(दक्षिणी टोंस) नदी
कैमूर की पहाड़ीयों से निकलकर इलाहबाद से आगे गंगा नदी में मिलती है।
सोन नदी
अमरकंटक की पहाडि़यों से निकलकर पटना से पहले गंगा नदी में मिलती है।
यमुना की सहायक नदियां
चम्बल
चम्बल मध्यप्रदेश के मऊ(इन्दौर) के समीप स्थित जानापाव पहाड़ी से निकलती है एवं इटावा के समीप यमुना नदी में मिलती है।
सहायक नदियां - बनास, पार्वती, कालीसिंध एवं क्षिप्रा।
सिंध
यह गुना जिले के सिरोंज तहसील के पास से निकलती है।
बेतवानदी
यह मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में विन्ध्य पर्वत माला से निकलती है।
हमीरपुर के निकट यमुना नदी में मिलती है।
केन नदी
यह मध्यप्रदेश के सतना जिले में कैमूर की पहाड़ी से निकलती है एवं बांदा के निकट यमुना में मिल जाती है।
चम्बल की सहायक नदियां
बनास
बनास अरावली श्रेणी की खमनौर पहाड़ीयों से निकलती है एवं चंबल नदी में मिल जाती है।
क्षिप्रा नदी
यह इन्दौर के निकट काकरी पहाड़ी से निकलती है एवं चम्बल में मिलती है।
उज्जैन में क्षिप्रा के तट पर महाकाल का मंदिर है एवं 12 वें वर्ष कुंभ का मेला लगता है।
कालीसिंध
कालीसिंध मध्यप्रदेश के देवास जिले के बागली गांव में विन्ध्य पहाड़ी से निकलती है एवं चम्बल नदी में मिल जाती है।
पार्वती
ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र | Brahmaputra River
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट आंग्सी हिमनद से होता है।
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी सांग्पो नाम से जानी जाती है।
यह नमचा बरबा पर्वत शिखर के निकट अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है तब इसका नाम दिहांग होता है।
बाद में इसकी 2 सहायक नदी दिबांग और लोहित के मिलने के बाद यह ब्रह्मपुत्र नाम से जानी जाती है।
बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र को जमुना नाम से जाना जाता है।
तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र से बांग्लादेश में मिलती है।
ब्रह्मपुत्र नदी सहायक नदियां
दांयी ओर से मिलने वाली - सुबनसिरी, कामेंग, मानस, संकोज, तीस्ता।
बांयी ओर से मिलने वाली नदियां - लोहित, दिबांग, धनश्री, कालांग।
असोम घाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के गुंफित होने से माजुली द्वीप का निर्माण हुआ है।
भारत में बहने के अनुसर सबसे लम्बी नदी गंगा है और भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों की कुल लंबाई के आधार पर ब्रह्मपुत्र सबसे लंबी नदी है।
ब्रह्मपुत्र भारत की सबसे बड़ी नदी जल की मात्रा के हिसाब से है।
गुंफित सरिता/नदी
एक ही नदी या सरिता से उत्पन्न होने वाली लघु, उथली तथा संग्रथित सरिताओं का जाल।
नदी के मुहाने के निकट भूमि का ढाल अत्यंत मंद होने पर बड़ी मात्रा में मलवे का जमाव होता रहता है जिससे डेल्टा का निर्माण होता है।
इस डेल्टाई भाग में नदी का जल कई शाखाओं एवं उपशाखाओं (जल वितरिकाओं) में विभिक्त हो जाता है।
ये जल वितरिकाएं आगे पुनः कई बार मिल जाती हैं और पृथक् होती हैं।
इस प्रकार छोटी-छोटी सरिताएं एक-दूसरे से गुथी हुई होती हैं और उथली होती हैं।
प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र
भारतीय प्रायद्वीप में अनेक नदियां प्रवाहित हैं।
मैदानी भाग की नदियों की अपेक्षा प्रायद्वीपीय भारत की नदियां आकार में छोटी हैं।
यहां की नदियां अधिकांशतः मौसमी हैं और वर्षा पर आश्रित हैं।
वर्षा ऋतु में इन नदियों के जल-स्तर में वृद्धि हो जाती है, पर शुष्क ऋतु में इनका जल-स्तर काफी कम हो जाता है। इस क्षेत्र की नदियां कम गहरी हैं, परंतु इन नदियों की घाटियां चौड़ी हैं और इनकी अपरदन क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी है।
यहां की अधिकांश नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, कुछ नदियां अरब सागर में गिरती हैं और कुछ नदियां गंगा तथा यमुना नदी में जाकर मिल जाती हैं।
प्रायद्वीपीय क्षेत्र की कुछ नदियां अरावली तथा मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश से निकलकर कच्छ के रन या खंभात की खाड़ी में गिरती हैं।
ये नदियां दो भागों में विभक्त होती हैं -
अरब सागर में गिरने वाली नदियां
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
अरब सागर में गिरने वाली नदियां
भादर नदी
यह गुजरात के राजकोट से निकलकर अरब सागर में गिरती है।
शतरंजी
गुजरात के अमरेली जिले से निकलकर खंभात की खाड़ी में गिरती है।
साबरमती नदी
यह उदयपुर(राजस्थान) के निकट अरावली पर्वत माला से निकलती है एवं गुजरात होते हुए खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
माही नदी
माही नदी मध्य प्रदेश के धार जिले में विन्ध्याचल पर्वत से निकलती है इसका प्रवाह मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात राज्यों में है।
इसकी सहायक नदियां सोम एवं जाखम है।
यह खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
नर्मदा नदी
नर्मदा नदी मैकाल पर्वत की अमरकंटक चोटी से निकलती है।
नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र मध्यप्रदेश(87 प्रतिशत), गुजरात(11.5 प्रतिशत) एवं महाराष्ट्र(1.5 प्रतिशत) है।
नर्मदा विन्ध्याचल पर्वत माला एवं सतपुडा पर्वतमाला के बीच भ्रंश घाटी में बहती है।
यह अरबसागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।
खंभात की खाड़ी में गिरने पर यह ज्वारनदमुख(एश्चुअरी) का निर्माण करती है।
सहायक नदियां -
तवा, बरनेर, दूधी, शक्कर, हिरन, बरना, कोनार, माचक।
मध्य प्रदेश में नर्मदा जयंती पर अमर कंटक में तीन दिन के नर्मदा महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
एस्चुअरी या ज्वारनदमुख
नदी का जलमग्न मुहाना जहाँ स्थल से आने वाले जल और सागरीय खारे जल का मिलन होता है नदी के जल में तीव्र प्रवाह के कारण जब मलवों का निक्षेप मुहाने पर नहीं होता है तथा नदी जल के साथ मलबा भी समुद्र में गिर जाता है तो नदी का मुहाना गहरा हो जाता है ऐसे गहरे मुहाने को ज्वारनदमुख कहते हैं।
तापी
तापी मध्यप्रदेश के बैतुल जिले के मुल्लाई नामक स्थान से निकलती है।
यह सतपुड़ा एवं अजंता पहाड़ी के बीच भ्रंश घाटी में बहती है।
तापी नदी का बेसिन महाराष्ट्र(79 प्रतिशत), मध्यप्रदेश(15 प्रतिशत) एवं गुजरात(6 प्रतिशत) है।
तापी की मुख्य सहायक नदी पूरणा है।
तापी खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है एवं एश्चुअरी का निर्माण करती है।
माण्डवी नदी
माण्डवी नदी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट पर्वत के भीमगाड झरने से निकलकर पश्चिम दिशा में प्रवाहित होते हुए गोवा राज्य से प्रवाहित होने के बाद अरब सागर में गिरती है।
जुआरी नदी
जुआरी नदी गोवा राज्य में पश्चिमी घाट से निकलकर पश्चिम दिशा में बहते हुए अरब सागर में गिरती है।
यह गोवा की सबसे लंबी नदी है।
शरावती नदी
यह नदी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट पर्वत की अम्बुतीर्थ नामक पहाड़ी से निकलती है एवं कर्नाटक राज्य में बहते हुए अरब सागर में गिरती है।
जोग जलप्रपात इसी नदी पर स्थित है।
गंगावेली नदी
यह नदी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट पर्वत से निकलकर कर्नाटक राज्य में बहते हुए अरब सागर में गिरती है।
पेरियार नदी
यह अन्नामलाई पहाड़ी से निकलती है एवं केरल राज्य में बहते हुए अरबसागर में गिरती है।
यह केरल की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
इसे केरल की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
इसका प्रवाह क्षेत्र केरल एवं तमिलनाडु राज्यों में है।
भरतपूजा नदी
यह अन्नामलाई से निकलती है।
इसका अन्य नाम पोन्नानी है।
यह केरल की सबसे लंबी नदी है।
इसका प्रवाह क्षेत्र केरल एवं तमिलनाडु है।
पंबा नदी
यह केरल की नदी है एवं बेम्बनाद झील में गिरती है।
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
हुगली
यह नदी प. बंगाल में गंगा नदी की वितरिका के रूप में उद्गमित होती है एवं बंगाल की खाड़ी में जल गिराती है।
दामोदर
यह छोटा नागपुर पठार, पलामू जिला, झारखण्ड से निकलती है पूर्व दिशा में बहते हुए प. बंगाल में हुगली नदी में मिल जाती है।
यह अतिप्रदूषित नदी है।
यह बंगाल का शोक कहलाती है।
इसका प्रवाह क्षेत्र झारखण्ड एवं प. बंगाल राज्य है।
स्वर्ण रेखा नदी
यह नदी रांची के पठार से निकलती है। यह पश्चिम बंगाल उडीसा के बीच सीमा रेखा बनाती है।
यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
वैतरणी नदी
यह ओडीसा के क्योंझर जिले से निकलती है।
इसका प्रवाह क्षेत्र ओडीसा एवं झारखण्ड राज्य है।
यह बंगाल की खाड़ी में जल गिराती है।
ब्राह्मणी नदी
इसकी उत्पत्ति ओडीसा राज्य की कोयेल एवं शंख नदियों की धाराओं के मिलने से हुई है।
यह बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
महानदी
महानदी का उद्गम मैकाल पर्वत की सिंहाना पहाड़ी(धमतरी जिला, छत्तीसगढ़) से होता है।
इसका प्रवाह क्षेत्र छत्तीसगढ़ एवं ओडीसा राज्य में है।
यह बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
गोदावरी नदी
यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी है।
गोदावरी नदी का उद्गम नासिक जिले की त्र्यम्बक पहाड़ी से होता है।
गोदावरी को ‘दक्षिण गंगा’ व ‘वृद्ध गंगा’ भी कहा जाता है।
गोदावरी महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडीसा, कर्नाटक एवं यनम(पुदुचेरी) राज्यों से होकर बहती है।
गोदावरी की सहायक नदियां -
दुधना, पूर्ण, पेन गंगा, वेनगंगा, इन्द्रावती, सेलूरी, प्राणहिता एवं मंजरा/मंजीरा(दक्षिण से मिलने वाली प्रमुख नदी)।
कृष्णा नदी
कृष्णा नदी का उद्गम महाबलेश्वर से होता है।
यह प्रायद्वीपीय भारत की दुसरी सबसे लंबी नदी है।
यह बंगाल की खाड़ी में डेल्टा बनाती है।
यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश से होकर बहती है।
कृष्णा नदी की सहायक नदियां
- भीमा, तुंगाभद्रा, कोयना, वर्णा, पंचगंगा, घाटप्रभा, दूधगंगा, मालप्रभा एवं मूसी।
पेन्नार नदी
यह कर्नाटक के कोलार जिले की नंदीदुर्ग पहाड़ी से निकलती है।
कावेरी नदी
कावेरी कर्नाटक राज्य के कुर्ग जिले की ब्रह्मगिरी की पहाड़ीयों से निकलती है।
दक्षिण भारत की यह एकमात्र नदी है जिसमें वर्ष भर सत्त रूप से जल प्रवाह बना रहता है।
इसका कारण है - कावेरी का ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र (कर्नाटक) दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा जल प्राप्त करता है जबकि निचला जलग्रहण क्षेत्र(तमिलनाडु), उत्तरी-पूर्वी मानसून से जल प्राप्त करता है।
इसके अपवाह का 56 प्रतिशत तमिलनाडु, 41 प्रतिशत कर्नाटक व 3 प्रतिशत केरल में पड़ता है।
सहायक नदियां -
लक्ष्मण तीर्थ, कंबिनी, सुवर्णावती, भवानी, अमरावती, हेरंगी, हेमावती, शिमसा, अर्कवती।
वैगाई नदी
यह तमिलनाडु के वरशानद पहाड़ी से निकलती है एवं पाक की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
ताम्रपर्णी नदी
यह तमिलनाडु राज्य में बहती है एवं मन्नार की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
अंतःस्थलीय नदियाँ
कुछ नदियाँ ऐसी होती है जो सागर तक नहीं पहुंच पाती और रास्ते में ही लुप्त हो जाती हैं।
ये अंतःस्थलीय नदियाँ कहलाती हैं।
घग्घर, लुनी नदी इसके मुख्य उदाहरण हैं।
घग्घर
घग्घर एक मौसमी नदी हैं जो हिमालय की निचली ढालों से (कालका के समीप) निकलती है और अनुपगढ़ (राजस्थान) में लुप्त हो जाती हैं। घग्घर को ही वैदिक काल की सरस्वती माना जाता है।
लूनी
लूनी उद्गम स्थल राजस्थान में अजमेर जिले के दक्षिण-पश्चिम में अरावली पर्वत का अन्नासागर है।
अरावली के समानांतर पश्चिम दिशा में बहती है।
यह नदी कच्छ के रन के उत्तर में साहनी कच्छ में समाप्त हो जाती है
प्रायद्वीपीय जल- निकासी व्यवस्था का विकास
अतीत में हुई तीन प्रमुख भूगर्भीय घटनाओ ने प्रायद्वीपीय भारत की वर्तमान जल निकासी व्यवस्था को आकार दिया है :
• शुरआती तृत्य अवधिं के दौरान प्रायद्वीप के पश्चिमी दिशा में घटाव के कारण समुद्र का अपनी जलमग्नता के नीचे चले जाना ।
आम तौर पर इससे नदी के दोनों तरफ की सममित योजना के मूल जलविभाजन को भांग किया है।
• हिमालय में उभार आना जब प्रायद्वीपीय खंड का उत्तरी दिशा में घटाव हुआ और जिसके फलस्वरूप गर्त दोषयुक्त हो गया ।
________________
Note:- sscwill.in वेबसाइट में उपयोग किए गए मैप वास्तविक मैप से अलग हो सकते हैं। मैप्स को विद्यार्थियों की सुविधा के लिए सरल बनाया गया है।
स्टीक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट का उपयोग करें.....🙏🙏🙏
sscwill.in वेबसाइट पर उपलब्ध मैप का उपयोग बिना छेड़छाड़(edit) किए, किया जा सकता है। मैप्स का उपयोग करने के लिए किसी प्रकार की अनुमति/permission की जरूरत नहीं है।
7 Comments
Nice
ReplyDeletenice content
ReplyDeleteplease visit on my website too
भारत की नदियाँ हिंदी मे
Great content
ReplyDeleteGreat ��������
ReplyDeleteVery helpful for all competitive exams👍
ReplyDeleteSupp
ReplyDeleteWe got a lot of help in reading, thank you for this step of yours.
ReplyDeletePlease do not enter any spam link in the comment box