भारत में मुस्लिम शासन - Bharat Me Muslim Shasan PDF
SO, Hello Guys....
आज का हमारा टॉपिक है Muslim Rule in India या भारत में मुस्लिम शासन।
आज हम शुरू करेंगे मध्यकालीन भारत (Medieval India)
मध्यकालीन भारत (Medieval India) (712-1707)
मध्यकालीन भारत में 712 ई. से लेकर 1707 ई. तक जितनी भी घटनाये भारत में निश्चित तोर पर हुई है उन्हें हम पढ़ेंगे।
पुरे 1000 साल के इस पीरियड में हम पड़ेंगे Muslim Rule in India या भारत में मुस्लिम शासन।
जैसा की हम पढ़ चुके हैं की 1000 साल इस पीरियड में हिंदुस्तान में जो मुस्लिम शासन चलेगा वो इस्लाम धर्म के आधार पर चलेगा।
इससे पहले वाली पोस्ट में हम पढ़ चुके हैं की -
और हम जानते हैं की भारत में जितने भी मुस्लिम आक्रमणकारी आये उनके हिंदुस्तान आने के दो ही उद्देश्य थे -
सबसे पहला हिंदुस्तान में इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करना और
दूसरा भारत में लूटपाट करना।
मध्यकालीन भारत 712 ई. से शुरू होता है क्योंकि 712 ई. में ही भारत पर पहला अरब आक्रमण मो. बिन क़ासिम ने किया।
Arabian Invasion In India । भारत में अरबों का आक्रमण
मो. बिन कासिम (712 ई. - 714 ई.)
जैसा की हम पढ़ चुके हैं की मो. बिन कासिम ने भारत पर पहला अरब आक्रमण किया पर मो. बिन कासिम को भारत आने की जरूरत क्यों पड़ी ?
इस्लाम धर्म के अनुसार पैगम्बर मोहमद साहब/हज़रत मोहमद साहब को ही इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है।
और हज़रत मोहमद साहब के उत्तराधिकारियों को ही इस्लाम धर्म में खलीफा कहा जाता है।
जब मो. बिन कासिम अरब से हिंदुस्तान पर आक्रमण करने आया तो उस समय इस्लाम धर्म के खलीफा बगदाद में रहा करते थे।
और इसी बगदाद के खलीफा का एक गवर्नर अरब में शासन करता था जिसका नाम था अल हजाज़।
इसी अल हज़ाज़ का सेनापति था मो. बिन कासिम।
हिंदुस्तान में प्रवेश करने के सिंध एकमात्र रास्ता था।
और देवल सिंध की राजधानी हुआ करती थी।
सिंध के देवल में एक देवल बंदरगाह था और अरबों के व्यापारिक जहाज देवल बंदरगाह से गुजरा करते थे।
सिंध के देवल में एक देवल बंदरगाह था और अरबों के व्यापारिक जहाज देवल बंदरगाह से गुजरा करते थे।
इस समय सिंध पर एक हिन्दू शासक दाहिर सैन शासन कर रहा था।
दाहिर एक अयोग्य शासक था।
इतिहासकारों के अनुसार दाहिर की अयोग्यताएं ही भारत के गुलाम बनने का कारण बनी है।
दाहिर के सैनिक ही देवल बंदरगाह पर आक्रमण कर अरबियों से लूटपाट किया करते थे।
एक बार जब अल हाजज के व्यापारिक जहाज देवल बंदरगाह से होकर गुजर रहे थे तो दाहिर के सैनिकों ने आक्रमण कर उन पर अपना अधिकार कर लिया।
इससे अल हाजज को अत्यधिक आर्थिक नुकसान हुआ।
इसलिए बगदाद के खलीफा ने अल हाजज को आदेश दिया कि तुरंत हिंदुस्तान पर आक्रमण किया जाए।
अल हाजज ने अपने सेनापति मोहम्मद बिन कासिम को सिंध पर आक्रमण करने भेजा।
और इसी कारण से मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में सिंध पर आक्रमण किया।
मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध के शासक दाहिर की हत्या करके सिंध पर अधिकार कर लिया।
tags: Bharat Me Muslim Shasan PDF, bharat par pahla muslim aakrman, bharat par pahla muslim shasak, mahmood gori, mahmood gajni,
दाहिर एक अयोग्य शासक था।
इतिहासकारों के अनुसार दाहिर की अयोग्यताएं ही भारत के गुलाम बनने का कारण बनी है।
दाहिर के सैनिक ही देवल बंदरगाह पर आक्रमण कर अरबियों से लूटपाट किया करते थे।
एक बार जब अल हाजज के व्यापारिक जहाज देवल बंदरगाह से होकर गुजर रहे थे तो दाहिर के सैनिकों ने आक्रमण कर उन पर अपना अधिकार कर लिया।
इससे अल हाजज को अत्यधिक आर्थिक नुकसान हुआ।
इसलिए बगदाद के खलीफा ने अल हाजज को आदेश दिया कि तुरंत हिंदुस्तान पर आक्रमण किया जाए।
अल हाजज ने अपने सेनापति मोहम्मद बिन कासिम को सिंध पर आक्रमण करने भेजा।
और इसी कारण से मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में सिंध पर आक्रमण किया।
मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध के शासक दाहिर की हत्या करके सिंध पर अधिकार कर लिया।
तथ्य -
- मोहम्मद बिन कासिम भारत पर आक्रमण करने वाला पहला मुस्लिम था।
- इसने सिंध पर आक्रमण करके दाहिर नाम की हिंदू शासक को पराजित किया।
- मोहम्मद बिन कासिम भारत में जजिया कर लगाने वाला प्रथम मुस्लिम शासक था।
- जजिया कर गैर मुस्लिमों पर लगाया जाता था।
- विधवा, ब्राह्मण और विकलांगो को जजिया कर की छूट थी।
- मोहम्मद बिन कासिम भारत में स्वर्ण सिक्के चलाने वाला पहला मुस्लिम शासक था।
- इसके द्वारा चलाए गए सिक्कों को दिरहम कहा जाता था।
- मोहम्मद बिन कासिम ही भारत में सबसे पहले अरबी गोली लाया और।
- भारत में सबसे पहले खजूर की खेती और ऊंट पालन शुरू किया।
- चरक संहिता का अनुवाद अरबी भाषा में करवाया।
- प्रथम शताब्दी में कुषाण वंश के सबसे महान राजा कनिष्क के दरबार में एक राज चिकित्सक चरक ने चरक संहिता की रचना की।
- अर्बियों ने ही पंचतंत्र का अनुवाद अरबी भाषा में करवाया।
महमूद गजनवी (998-1030)
Bharat Me Muslim Shasan |
- गजनी राज्य की स्थापना 932 ई. में अलप्तगीन द्वारा की गई थी।
- अलप्तगीन के बाद उसका दामाद सबुक्तागीन गद्दी पर 977 ई. में बैठा।
- सबुक्तागीन का बेटा महमूद गजनवी गद्दी पर 998 ई. में बैठा ।
- महमूद गजनवी का जन्म 1 नवंबर 971 ई. में हुआ ।
- यह यामिनी वंश का शासक था।
- 998 ई. में 29 साल की उम्र में यह गजनी का शासक बना, शासक बनने से पहले महमूद गजनवी खुरासान का राजा था ।
- बगदाद खलीफा आदिर बिल्ला ने महमूद गजनवी को यामीन उद्दोला तथा यामीन मिला की उपाधि दी थी।
- हिंदुस्तान पर पहला तुर्क आक्रमण सबुक्तगीन ने किया।
- जबकि भारत पर पहला सफल तुर्क आक्रमण महमूद गजनवी ने किया।
महमूद गजनवी ने भारत पर कुल 17बार आक्रमण किए
- पहला आक्रमण 1000 ई. में हिंदुशाही या ब्राह्मणशाही के विरूद्ध किया ।
- 1001 ई. में पेशावर में जयपाल के विरूद्ध किया तथा जयपाल को हार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते जयपाल ने आत्महत्या कर ली।
- जयपाल के बाद उसका लड़का आनंदपाल गदी पर बैठा।
- 1008/1009 में वाई हिन्द की लड़ाई में आनंदपाल को हर का सामना करना पड़ा।
- महमूद गजनवी ने जवालां जी की मूर्ति तुड़वाई तथा बुधशिकन यां मूर्तिबंजक की उपाधि धारण की।
- 1014 थानेसर कुरुक्षेत्र पर आक्रमण किया।
- 1016 मथुरा पर आक्रमण किया।
- 1025 में महमूद गजनवी ने भारत पर 16 वां आक्रमण गुजरात के कठियावाड में स्थित सोमनाथ मंदिर पर किया ।
- इस समय गुजरात का शासक भीम प्रथम था।
- 1027 में जाटों के विरूद्ध अंतिम आक्रमण था।
- महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में हुई ।
- महमूद गजनवी सुल्तान और गाजी की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक था।
- सेंवदराय तथा तिलक महमूद गजनवी की सेना में उच्च पद के हिन्दू सेनापति थे ।
- महमूद गजनवी को "स्टार ऑफ इस्लामिक वर्ल्ड भी कहा जाता है"
- अलबरूनी और फर्दोसी इसके मुख्य कवि थे।
समकालीन लेखक -
अलबरूनी
- अलबरूनी का पूरा नाम अबू रेहान महमूद था ।
- इसने किताब-उल-हिन्द / तहकीक - ए- हिन्द नामक पुस्तक लिखी ।
- यह पुस्तक भारतीय भूगोल की सबसे बड़ी किताब मानी जाती है।
फिरदोसी
- फिरदोसी महमूद गजनवी का दरबारी लेखक था इसने शाहनामा नाम की पुस्तक लिखी थी।
उल्बी
- इसने चचनामा का फ़ारसी में अनुवाद किया।
वैहाकि
- इसने महमूद गजनवी के पिता सुबुक्तगीन की जीवनी तारीफ- ए- सुबुक्तगीन लिखी।
महमूद गौरी (1175-1206)
- महमूद गौरी भी एक तुर्क था।
- यह शंशवानी वंश का तर्क था।
- महमूद गौरी का हिंदुस्तान आने का उद्देश्य महमूद गजनवी से थोड़ा अलग था।
- जहां महमूद गजनवी का बार-बार हिंदुस्तान पर आक्रमण करने का उद्देश्य था हिंदुस्तान से सोना लूटना और हिंदुस्तान में मूर्ति पूजा को नष्ट करना।
- इसलिए इसने हमारे हिंदुस्तान के मंदिरों को अपना निशाना बनाया।
- लेकिन महमूद गौरी अपने राज्य का विस्तार करने के उद्देश्य से हिंदुस्तान आया।
- यह भी अफगानिस्तान के गजनी राज्य से आया था।
- इस समय गजनी पर गौर साम्राज्य का शासन था।
- गौर वंश का होने की वजह से इसे महमूद गौरी कहा गया।
- महमूद गौरी ने अपना पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर किया।
- इस समय मुल्तान पर करमाथी जाति के मुसलमान शासन किया करते थे।
- महमूद गौरी ने अपना दूसरा आक्रमण 1178 ईस्वी में गुजरात पर किया।
- महमूद गजनी की तरह गुजरात पर आक्रमण करने का इसका उद्देश्य भी सोमनाथ मंदिर को लूटना था।
- इस समय गुजरात पर भीम द्वितीय या मूलराज द्वितीय नामक शासक शासन कर रहा था।
- भीम द्वितीय चालुक्य वंश का शासक था।
- इस युद्ध में महमूद गोरी हार गया।
- यह महमूद गौरी की भारत में पहली हार थी।
- इसके बाद महमूद गौरी उत्तर भारत की ओर बढ़ा और उसने
- 1779 ई. में सिंध और कश्मीर पर अधिकार कर लिया।
- इस समय उत्तर भारत (दिल्ली, अजमेर व सांभर) में चौहान वंश का शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय शासन कर रहा था।
- चंद्रवरदाई इसी पृथ्वीराज तृतीय का दरबारी कवि था जिसने पृथ्वीराजरासो नामक महाकाव्य की रचना की।
- पृथ्वीराजरासो में महमूद गौरी और पृथ्वीराज के मध्य हुई लड़ाईओ की जानकारी मिलती है।
- चंद्रवरदाई के अनुसार महमूद गोरी बार-बार सिंध व कश्मीर से पृथ्वीराज चौहान तृतीय पर आक्रमण किया करता था।
- चंद्रवरदाई के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार महमूद गौरी को हराया।
- लेकिन इतिहासकारों के अनुसार दोनों के बीच सिर्फ दो युद्ध (तराईन का प्रथम युद्ध और तराइन का द्वितीय युद्ध) हुए थे।
तराइन का प्रथम युद्ध (1191)
वर्तमान में हरियाणा के करनाल में तरावड़ी तरावड़ी एक जगह है।
यही तरावड़ी पहले तराइन के कहलाता था।
चंद्रवरदाई के अनुसार पृथ्व राज चौहान तृतीय और महमूद गौरी 17 वीं बार आमने-सामने थे।
परंतु दूसरे इतिहासकारों के अनुसार यह दोनों पहली बार आमने-सामने थे।
इस युद्ध में भी महमूद गौरी पृथ्वीराज चौहान से हार गया।
इसी समय उत्तर प्रदेश के कन्नौज में गढ़वाल वंश का शासन था।
यहां पर गढ़वाल वंश का शासक जयचंद शासन कर रहा था।
इसी जयचंद की पुत्री हुआ करती थी संयोगिता और इसी संयोगिता से विवाह करना चाहता था पृथ्वीराज चौहान।
पर लेकिन राजा जयचंद ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।
Document Format: PDF
Total Pages: 05
PDF Quality: Normal
PDF Size: 1 MB
Book Credit: Harsh Singh
Price : Free
यही तरावड़ी पहले तराइन के कहलाता था।
चंद्रवरदाई के अनुसार पृथ्व राज चौहान तृतीय और महमूद गौरी 17 वीं बार आमने-सामने थे।
परंतु दूसरे इतिहासकारों के अनुसार यह दोनों पहली बार आमने-सामने थे।
इस युद्ध में भी महमूद गौरी पृथ्वीराज चौहान से हार गया।
इसी समय उत्तर प्रदेश के कन्नौज में गढ़वाल वंश का शासन था।
यहां पर गढ़वाल वंश का शासक जयचंद शासन कर रहा था।
इसी जयचंद की पुत्री हुआ करती थी संयोगिता और इसी संयोगिता से विवाह करना चाहता था पृथ्वीराज चौहान।
पर लेकिन राजा जयचंद ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।
तराइन का द्वितीय युद्ध (1192)
- उधर महमूद गोरी एक बार फिर से आक्रमण करने की योजना बना रहा था।
- इस बार महमूद गौरी गजनी से और ज्यादा सेना लेकर अगले ही साल फिर लौट आया।
- अगले ही साल यानी 1192 ई. में महमूद गौरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के मध्य चंदावर का दूसरा युद्ध लड़ा गया।
- इस युद्ध में इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर हुआ।
- इसी युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने नहीं बल्कि महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया और
- हराते ही पृथ्वीराज चौहान तृतीय की हत्या कर दी।
- इस युद्ध में महमूद गौरी की सहायता गढ़वाल वंश के शासक जयचन्द ने की जो पृथ्वीराज चौहान से बदला लेना चाहता था।
- 1192 में भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई।
चंदावर का युद्ध (1194)
- यह युद्ध महमूद गौरी और जयचन्द के मध्य हुआ।
- इस युद्ध में गौरी की जीत हुई तथा दिल्ली पर पहली बार मुस्लिम शासकों का कब्ज़ा हुआ।
- जयचंद गडवाल वंश के राजा थे तथा कन्नौज के शासक थे।
- इसके बाद गौरी ने दिल्ली पर कुछ समय तक शासन किया तथा उसके बाद अपने गुलाम तथा दामाद कतुबुदीन ऐबक को दिल्ली के सिहासन पर बिठाया।
- 1206 में झेलम नदी के किनारे धमयक में सिया व हिन्दुओं द्वारा गौरी की हत्या कर दी और धम्यक में दफना दिया गया इसके बाद दिल्ली पर पूरी तरह से कतुबुदीन ऐबक का राज हुआ। Read more..
Bharat Me Muslim Shasan PDF Detail
Name of The Book : *Bharat Me Muslim Shasan PDF in Hindi*Document Format: PDF
Total Pages: 05
PDF Quality: Normal
PDF Size: 1 MB
Book Credit: Harsh Singh
Price : Free
Bharat Me Muslim Shasan PDF Download
Read Also ......
tags: Bharat Me Muslim Shasan PDF, bharat par pahla muslim aakrman, bharat par pahla muslim shasak, mahmood gori, mahmood gajni,
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box