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सिंधु सभ्यता की खोज-
Sindhu Sabhyta Full Information in Hindi |
⧫ सिंधु सभ्यता की खुदाई रायबहादुर दयाराम साहनी ने पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक 'सर जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 में करवायी।
⧫ सिंधु सभ्यता को प्राकऐतिहासिक अथवा कांस्य युग में रखा गया है। इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एंव भूमध्य सागरिय थे।
⧫ सिंधु सभ्यता यां सैंवद सभ्यता नगरीय सभ्यता थी।
⧫ सैंवद सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी जाती है। यह हैं - मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धोलावीरा, राखीगढ़ी और कालीबंगन।
⧫ सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दशक नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर ( बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिंडन नदी के किनारे आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश) उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मांदा (जम्मूू कश्मीर) तथा दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाईमाबाद (अहमदनगर महाराष्ट्र)।
⧫ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं।
⧫ लोथल एंव सुतकोतदा सिंधु सभ्यता के बंदरगाह थे।
⧫ जुते हुए खेत और नकाशीदार इंटो के प्रयोग के साक्ष्य कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त हुआ है।
⧫ मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नासागर संभवत: सैंवद सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
⧫ मोहनजोदड़ो से प्राप्त विशाल स्नानागर एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य में स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.46 मीटर गहरा है।
⧫ लोथल एवं कालीबंगा से अग्निकुंड भी प्राप्त हुए हैं।
⧫ मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य की मूर्ति मिली है।
⧫ मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर 3 मुख वाले देवता की मूर्ति मिली है जिसके चारों और हाथी, गैंडा, चीता और भैंसा विराजमान है।
⧫ हड़प्पा की मुंहरो पर सबसे अधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है।
⧫ लोथल एव चन्हूदडो में मनके बनाने के कारखाने मिले हैं।
⧫ सिंधु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। यह लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती है। जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता है तो पहली पंक्ति दाई से बाई ओर और दूसरी बाएं से दाएं और लिखी जाती है।
⧫ इस सभ्यता के लोगों ने नगरों और घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
⧫ घरों के दरवाजे और खिड़कियां सड़क की ओर न खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलते हैं।
केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खोलते थे।
⧫ गेहूं और जौ सिंधु सभ्यता में मुख्य फसल थी।
⧫ सैंवद सभ्यता के निवासी मीठे के लिए शहद का उपयोग करते थे।
⧫ रंगपुर एव लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है।
⧫ चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए थे।
⧫ सूरकोतदा, कालीबंगन एव लॉथल से सैंवधकालीन घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं।
⧫ तोल की इकाई संभवत: 16 के अनुपात में थी।
⧫ सैंवध सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों एव चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैंसागाड़ी का उपयोग करते थे।
⧫ मेसोपोटामिया के अभिलेखों में सिंधु सभ्यता के लिए मेलूहा शब्द का उपयोग किया किया है।
⧫ संभवत: हड़प्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था।
⧫ पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानी कहा।
⧫ सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
⧫ वृक्ष पूजा और शिव पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिंधु सभ्यता मिलते हैं।
⧫ सिंधु सभ्यता में मातृ देवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
⧫ पशुओं में कूबड़ वाला सांड विशेष पूजनीय था।
⧫ सैंवध सभ्यता के लोग सूती एव ऊनी वस्त्रों का उपयोग करते थे।
⧫ मनोरंजन के लिए वह मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पंक्षियो को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का उपयोग करते थे।
⧫ सिंधु सभ्यता के लोग काले रंग से रंगे हुए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे।
⧫ सिंधु घाटी सभ्यता में तलवार के साक्ष्य नहीं मिले संभवत यह तलवार से परिचित नहीं थे।
⧫ सैंवध सभ्यता में प्रदा-प्रथा और वैश्यावृति प्रचलित थी।
⧫ शवों को जलाने एवं गाड़ने की प्रथा प्रचलित थी।हड़प्पा में शवों को दफनाया जाता था जबकि मोहनजोदड़ो में शवों को जलाया जाता था।
⧫ सैंवध सभ्यता के विनाश का प्रभावी कारण संभवत: बाढ़ था।
⧫ आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है।
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