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राजस्थान की मिट्टियां - Rajsthan ki Mitiya PDF
rajasthan ki mitiya |
अमेरिका मिट्टी विशेषज्ञ डॉ. बैनेट के अनुसार भू-पृष्ट पर मिलने वाले असंगठित पदार्थों की वह ऊपरी परत जो मूल चट्टानों अथवा वनस्पति के योग से बनती है "मिट्टी" कहलाती है।
मिट्टी का अध्ययन करने वाला विभाग पोडोलॉजी कहलाता है।
राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी माई जाती हैं।
दक्षिण-पूर्व में काली मिट्टी पाई जाती हैं।
उत्तरी-पूर्वी व पूर्वी मैदानी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
उत्तर में (गंगानगर, हनुमानगढ़) में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
पष्चिम में/उत्तर-पष्चिम में बलुई मिट्टी पाई जाती हैं।
अरावली के पष्चिमी ढ़ाल में भुरी-धूसर/भुरी-बलुई/सिरोजम मिट्टी पाई जाती हैं।
अरावली के पूर्व में बनास नदी में भुरी-दोमट मिट्टी पायी जाती हैं।
राजस्थान में निम्नलिखित प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं -
rajasthan ki mitiya |
रेतीली/बुलई मरुस्थलीय मिट्टी
राजस्थान में सबसे अधिक भू भाग पर पाई जाने वाली मिट्टी रेतीली मिट्टी है।
इसका विस्तार राजस्थान के पश्चिम में जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, चूरू, सीकर, झुंझुनू, बीकानेर आदि जिलों में है।
इस क्षेत्र में खड़ीन की खेती सर्वाधिक मात्रा में की जाती है।
भूरी रेतीली मिट्टी
रेत के छोटे-छोटे टीलों वाले भाग में पाई जाने के कारण भूरी रेतीली मिट्टी को ग्रे-पेंटेड /धूसर मरुस्थलीय/सीरोज़म मिट्टी भी कहा जाता है।
इस मिट्टी का राज्य में प्रसार क्षेत्र अरावली का पश्चिमी भाग है, जिसमें जोधपुर, नागौर, जालौर, सीकर, चूरू, झुंझुनू, व बीकानेर जिले सम्मिलित है।
लवणीय मिट्टी
यह मिट्टी प्राकृत रूप से बाड़मेर, पाली, व जालौर में पाई जाती है, परंतु यह रूपांतरित मिट्टी होने के कारण कोटा, भरतपुर व श्रीगंगानगर में भी पाई जाती है।
पर्वतीय मिट्टी
यह मिट्टी अरावली पर्वतमाला की अपात्यकता में पाई जाती है, जिसके अंतर्गत सिरोही, उदयपुर, पाली, अजमेर, अलवर, आदि जिलों का पहाड़ी क्षेत्र आता है।
इस मिट्टी का रंग लाल, पीला व बुरा होता है।
मिश्रित लाल व काली मिट्टी
इस मिट्टी का निर्माण मालवा के पठार की काली मिट्टी एवं दक्षिणी अरावली की लाल मिट्टी के मिश्रण से हुआ है, जो हल्के गठन वाली तथा चुने की कम मात्रा लिए होती है।
इस मिट्टी का प्रसार क्षेत्र डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर एवं चित्तौड़गढ़ जिले हैं
इस मिट्टी में कपास एवं मक्का की फसलें प्राप्त की जाती है।
लाल-लोमी मिट्टी
इस मिट्टी का निर्माण कायांतरित चट्टानों से होता है।
यह मिट्टी राजस्थान के दक्षिणी भाग में पाई जाती है, जिसके अंतर्गत उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि जिले आते हैं।
इस क्षेत्र में वर्षा कम होने पर भी अच्छी फसल उत्पादित होती है यहां पर मुख्य मक्का की खेती की जाती है।
मध्यम काली मिट्टी/काली मिट्टी
इस मिट्टी का प्रसार कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ जिलों में है इस मिट्टी में मुख्य कपास अधिक पैदा होती है।
कछारी जलोढ़ मिट्टी
इस मिट्टी को दोमट, कांप, ब्लैक कॉटन सॉइल आदि नामों से भी जाना जाता है।
यह मिट्टी सर्वाधिक उपजाऊ होती है यह मिट्टी राजस्थान के पूर्वी मैदान जयपुर, अलवर, अजमेर, टोंक, कोटा, सवाई माधोपुर, धौलपुर, भरतपुर आदि जिलों में विस्तृत है।
भूरी मिट्टी
यह मिट्टी मुख्यत बनास बेसिन में पाई जाती है जिसके अंतर्गत टोंक, बूंदी, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ आदि क्षेत्र आते हैं।
यहां व्यवसायिक व खाद्यान्न फसलें उगाई जाती हैं, यह मिट्टी जायद की फसल के लिए उपयुक्त है।
लाल पीली मिट्टी
इस मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट, शिष्ट नीस आदि स्थानों के टूटने से हुआ।
लाल पीली मिट्टी का राज्य में प्रसार क्षेत्र सवाई माधोपुर, करौली, भीलवाड़ा, टोंक, अजमेर आदि जिले हैं।
रचना विधि के अनुसार मिट्टी दो प्रकार की होती है
स्थानीय मिट्टी
यह मिट्टी जो सदैव अपने मूल स्थान पर रहती है तथा बहुत कम गति करती हैं स्थानीय मिट्टी कहलाती है।
राजस्थान के दक्षिणी भाग एवं दक्षिणी पूर्वी भाग में पाई जाने वाली काली मिट्टी इसी प्रकार की मिट्टी है।
विस्थापित मिट्टी
नदी एवं पवनों के प्रभाव से अपने मूल स्थान से हट कर अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो जाने वाले मिट्टी विस्थापित मिट्टी कहलाती है।
राजस्थान के पश्चिमी एवं उत्तरी पश्चिमी भाग में पाई जाने वाली रेतीली बुलई मिट्टी विस्थापित मिट्टी का उदाहरण है।
मिट्टी निर्माण में पांच मुख्य कारक तत्व हैं - चट्टान, जलवायु, जैविक पदार्थ, स्थलाकृति व समय
मिट्टी की लवणीयता या क्षारीयता
मिट्टी के खारेपन की समस्या को ही लवणता या क्षारीयता कहा जाता है।
मिट्टी के ऊपर सफेद लवणीय बालू जम जाती है जिसे रेह कहा जाता है।
राज्य के जालोर, बाड़मेर एंव पाली, के पश्चमी क्षेत्र में क्षारीय मिट्टी को नेहड़ या नेड़ कहा जाता है।
सिंचाई के दौरान उपयोग में लिए जाने वाले जल में लवणता तथा सोडियम कार्बोनेट की मात्रा अधिक होती है तो मिट्टी क्षारीय हो जाती है।
इसे समान्य बोलचाल की भाषा में भूरा ऊसर कहते है।
शुद्ध मिटी का pH मान 7 होता है, 7 से अधिक वाली मिट्टी को क्षारीय मिट्टी कहते हैं।
मिट्टी की क्षारीयता की समस्या को दूर करने के लिए जिप्सम का उपयोग किया जाता है।
7 से कम pH वाली मिट्टी को अम्लीय मिट्टी कहा जाता है।
मिट्टी की अम्लीयता को दूर करने के लिए चुने का उपयोग किया जाता है।
राजस्थान में सेम की समस्या से प्रभावित क्षेत्र
1. इंद्रा गाँधी नहर सिंचाई क्षेत्र - राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले का बड़ोप्पल, भगवानदास, देईदास सेम से प्रभावित हैं
2. चंबल सिचाई क्षेत्र
सेम की समस्या को दूर करने के उपाय
इंद्रा गाँधी नहर सिंचाई क्षेत्र में सेम की समस्या को दूर करने के लिए इंडोडच जल निकासी परियोजना निथरलैंड के सहयोग से 2003 से चल रही है।
इस योजना के तहत युकोलिप्टिक नामक पेड दलदल को रोकने के लिए लगाए जा रहे हैं।
चंबल सिंचाई क्षेत्र में सेन की समस्या को दूर करने के लिए कनाडा के सहयोग से राजाद परियोजना चलाई जा रही है।
मिट्टी अपरदन के प्रकार
जल अपरदन
जल का तीव्र बहाव जब मिट्टी को एक स्थान से गहराई से काट क्र दूसरे स्थान पर बहा ले जाता है जल अपरदन कहलाता है।
इसे लंबवत या अवनालिका अपरदन कहा जाता है।
राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन चंबल नदी से दक्षिण पूर्वी राजस्थान में होता है।
वायु अपरदन
थार के रेजिडथन व् पश्चिमी राजस्थान में वायु के द्वारा मिट्टी का कटाव होता है।
जैसलमेर में जून माह में सर्वाधिक कटाव होता है जबकि धौलपुर में न्यूनतम कटाव होता हैं।
मिटटी के अपरदन को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण वृक्ष इजराली, बबूल व खेजड़ी है।
चादरी अपरदन
पर्वतीय प्रदेशों में वर्षा के पानी के तेज बहाव से मिट्टी का कटाव ऊपर से निचे की और होता है इसे चदरि अपरदन कहते हैं।
राजस्थान में सर्वाधिक अपरदन सिरोही व राजसमंद जेलों में होता है।
मृदा वैज्ञानिकों ने मृदा की उत्पत्ति रासायनिक संरचना एवं अन्य गुणों के आधार पर विश्वव्यापी मृदा वर्गीकरण प्रस्तुत किया है, जिसके आधार पर राजस्थान में निम्न प्रकार की मृदाएं मिलती है
1 एरिडी सोइल्स
2 एण्टी सोइल्स
3 अल्फी सोइल्स
4 इनसेप्टी सोइल्स
5 वर्टी सोइल्स
एरिडी सोइल्स
यह शुष्क जलवायु का मृदा समूह है ।
इसके उप-विभागों में केम्बो आरथिड्स, केल्सी आरथिड्स, सेलोरथिड्स और पेलि आरथिड्स राजस्थान में पाये जाते है ।
पश्चिमी राजस्थान में यह मृदा प्रधानता है ।
एण्टी सोइल्स
इसके टोरी सामेन्ट्स और डस्ट-फ्लूबेन्टस उपवर्ग राजस्थान मे है इसका रंग हल्का पीला एवं भूरा होता है ।
यह भी पश्चिमी राजस्थान के अनेक भागों में विस्तारित है ।
इनसेप्टी सोइल्स
यह अर्द्ध शुष्क से आर्द्र जलवायु वाले प्रदेशों में मिलती है राजस्थान में सिरोही, पाली, राजसमंद, उदयपुर, भीलवाडा, चितौड़गढ़ में प्रधानता तथा जयपुर, सवाई माधोपुर, झालावाड में कहीं-कहीं मिलती है ।
वर्टी सोइल्स
यह झालावाड, बारां, कोटा, बूंदी में प्रधानता तथा सवाई माधोपुर, भरतपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा में सीमित रूप में मिलती है ।
अल्फी सोइल्स
यह जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बूंदी, कोटा, बारां, झालावाड जिलों तक है ।
आवरण अपरदन
जब घनघोर वर्षा के कारण निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी जल में घुलकर बह जाती है।
धरातली अपरदन
पहाड़ी एवं सतही ढ़ालों की ऊपरी मूल्यवान मिट्टी को जल द्वारा बहा ले जाना।
नालीनूमा अपरदन
जब जल बहता है, तो उसकी विभिन्न धारायें मिट्टी को कुछ गहराई, तक काट देती हैं।
परिणाम स्वरूप धरातल में कई फुट गहरी नालियां बन जाती है।
कोटा, सवाई माधोपुर, धौलपुर में इस प्रकार अपरदन पाया जाता है।
मिट्टीयों सबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान में सर्वाधिक कृषि वाली भूमि श्री गंगानगर में है जिसका कारण श्री गंगानगर में गंगनहर व इंद्रा गाँधी नहर जैसे सिंचाई साधन है।
राजस्थान में मरुस्थल वृक्षारोपण एंव अनुसंधान केंद्र 1952 जोधपुर में खोला गया।
राजस्थान के केंद्रीय भू-सरंक्षण बोर्ड का कार्यालय जयपुर व सीजकर जिलों है।
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान कर्नल (हरियाणा) में स्थित है।
राज्य में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं जयपुर व् जोधपुर में है।
भारत सरकार की सहायता से राजस्थान में प्रथम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना जोधपुर में वर्ष 1958 में की गई।
राजस्थान के 10 मरुस्थलीय जिलों में मरु प्रसार रोक योजना चलाई जा रही है।
राजस्थान की मिट्टी को 14 मृदा खंडो में विभाजित किया गया है।
राजस्थान में लवणतायुक्त मिट्टियों को स्थानीय भाषा में मगरा या थारा कहते हैं।
मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए मटर व दालों को उगाया जाता है।
मिट्टी में लवणीयता की समस्या दूर करने हेतु रॉक फॉस्पफेट का प्रयोग।
मिट्टी की क्षारीयता की समस्या दूर करने हेतु जिप्सम का प्रयोग।
राज्य में वायु से मृदा अपरदन का क्षेत्रफल सबसे अधिक, उसके बाद जल से मृदा अपरदन।
मिट्टी का अवनालिका अपरदन सर्वाधिक चम्बल नदी से।
खड़ीन- मरूभूमि में रेत के ऊँचे-ऊँचे टीलों के समीप कुछ स्थानों पर निचले गहरे भाग बन जाते है। जिनके बारीक कणों वाली मटियारी मिट्टी का जमाव हो जाता है।
तलाब में पानी सूखने पर जमीन की उपजाऊ मिट्टी की परत को पणों कहते है।
राजस्थान में सर्वाधिक बंजर व अकृषि भूमि उदयपुर में है।
जैसलमेर दूसरे स्थान पर है।
राज्य की प्रथम मृदा परीक्षण प्रयोगशाला जोधपुर में भारतीय क्षारीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला नाम से स्थापित की गई।
भूमि की सेम समस्या मुख्य रूप से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर जिले में।
हनुमानगढ़ सेम समस्या निदान के लिए इकोडच परियोजना नीदरलैण्ड (हॉलैण्ड) की सहायता से चलार्इ जा रही है।
नीदरलैण्ड आर्थिक एवं तकनीकि सहायता प्रदान कर रहा है।
ऊसर भूमि के लिए हरी खाद तथा गोबर का उपयोग करना चाहिए।
राजस्थान में लगभग 7.2 लाख हैक्टेयर भूमि क्षारीय व लवणीय है।
धमासा (ट्रफोसिया परपूरिया)— एक खरपतवार है जो जयपुर क्षेत्र में अधिक पाई जाती है।
देश की व्यर्थ भूमि का 20% भाग राजस्थान में पाया जाता है, क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक व्यर्थ भूमि जैसलमेर (37.30%) में है।
उपलब्ध क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक व्यर्थ पठारी भूमि राजसमंद में हैे।
Rajsthan ki Mittiyan pdf से सबंधित प्रशन-उतर
Q. 1. निम्न में से किस प्रकार की मिट्टी में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस की कमी पायी जाती है ?
(1) मध्यम काली मिट्टी ✔
(2) काँप मिट्टी
(3) मिश्रित लाल और काली मिट्टी
(4) भूरी रेतीली मिट्टी
Q. 2. क्षारीय भूमि का (PH) कितना है ?
(1) 4.5
(2) 6.7
(3) 8.6 से अधिक ✔
(4) 7.6 से अधिक
Q. 3. ऊसर भूमि किसे कहते हैं ?
(1) नदियों के किनारे पर स्थित भूमि को
(2) खारी एवं लवणीय भूमि को ✔
(3) सागर के किनारे की भूमि को
(4) पर्वतीय प्रदेशों पर स्थित भूमि को
Q. 4. कथन (A) - राजस्थान में पाई जाने वाली सीरोजम मिट्टी की उर्वरा शक्ति अपेक्षाकृत कम होती है |
कारण (R) - सीरोजम मिट्टी में नाइट्रोजन तथा कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है
|
कूट : -
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है ✔
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है |
(3) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है |
(4) (A) सही है, परन्तु (R) गलत है |
Q. 5. राजस्थान में बंजर भूमि विकास के सम्बन्ध में निम्न कथनों का परीक्षण कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए |
(i) राज्य में वर्तमान (2013-14) में भू-उपयोग हेतु कुल प्रतिवेदित क्षेत्र में लगभग 19 प्रतिशत भूमि बंजर भूमि है |
(ii) राज्य में गत 30 वर्षों में पुरानी पड़त भूमि में लगभग 18 प्रतिशत की कमी आई है |
(iii) राज्य में बंजर भूमि विकास कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का उत्तरदायित्व राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड का है |
(iv) राज्य में एकीकृत बंजर भूमि विकास योजना स्वीडिश अन्तर्राष्ट्रीय विकास एजन्सी (SIDA) के सहयोग से वर्तमान में 10 जिलों में चल रही है |
कूट :
(1) i और ii ✔
(2) i और iii
(3) ii और iv
(4) i, ii और iv
Q. 6. जल द्वारा अपरदन की समस्या राज्य के जिस भाग में व्यापक रूप से विद्यमान है, वह है -
(1) दक्षिणी और पश्चिमी भाग
(2) दक्षिणी और पूर्वी भाग ✔
(3) पश्चिमी और उत्तरी भाग
(4) पूर्वी और उत्तरी भाग
Q. 7. राजस्थान में मिट्टी का कौन सा प्रकार सर्वाधिक क्षेत्र में विस्तृत है ?
(1) लाल और पीली मिट्टी
(2) लाल और काली मिट्टी
(3) रेतीली मिट्टी ✔
(4) काँप मिट्टी
Q. 8. वायु अपरदन की समस्या का प्रभावी समाधान करने के लिये कौन सा प्रयास करेंगे ?
(1) तालाब बनाना
(2) खेतों पर मेड़ बनवाना
(3) वृक्षों की पट्टी विकसित करना ✔
(4) चरागाहों का विकास
Q. 9. अधिक समय तक नमी का बना रहना कौन सी मिट्टी की विशेषता है ?
(1) लाल और पीली मिट्टी ✔
(2) भूरी रेतीली मिट्टी
(3) काँप मिट्टी
(4) उपर्युक्त सभी
Q. 10. राजस्थान में भूरी मिट्टी का प्रसार क्षेत्र है ?
(1) बनास नदी का प्रवाह - क्षेत्र
(2) राजस्थान का दक्षिणी भाग
(3) हाड़ौती पठार ✔
(4) मध्यम काली मिट्टी
Q. 11. लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी सुधारक रसायन है -
(1) जिप्सम
(2) फॉस्फो - जिप्सम ✔
(3) गंधक का अम्ल
(4) अरावली के दोनों तरफ के भाग
Q. 12. राजस्थान में जल द्वारा मृदा अपरदन से प्रभावित है -
(1) उत्तरी जिले
(2) पश्चिमी जिले
(4) दक्षिणी - पूर्वी जिले ✔
(3) दक्षिणी - पश्चिमी जिले
Q. 13. राजस्थान में बालुका स्तूप वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली मिट्टी है -
(1) लाल दोमट
(2) पीली - भूरी बलुई ✔
(3) भूरी मटियार दोमट
(4) भूरी दोमट
Q. 14. लाल दोमट मिट्टी पाई जाती है -
(1) बूँदी - झालावाड़
(2) उदयपुर - डूंगरपुर ✔
(3) अजमेर - पाली
(4) जयपुर - सीकर
Q. 15. लवणीय एवं क्षारीय मिट्टियों वाले क्षेत्रों में होने वाली लाभदायक फसल / फसलें हैं -
(1) आलु
(3) गेहूँ
(2) कपास
(4) उपर्युक्त सभी ✔
Q. 16. हाड़ौती पठार की मिट्टी किस प्रकार की है?
(1) भूरी
(2) लाल
(3) कछारी
(4) मध्यम काली ✔
Q. 17. कपास व नकदी फसलों की कृषि के लिए उपयुक्त मिट्टी है -
(1) काली मिट्टी ✔
(2) लाल दोमट मिट्टी
(3) कछारी मिट्टी
(4) मिश्रित लाल पीली मिट्टी
Q. 18. 'वालरा' क्या है?
(1) मिट्टी की एक समस्या
(2) आदिवासियों द्वारा की जाने वाली परम्परागत कृषि ✔
(3) मिट्टी का एक प्रकार
(4) इनमें से कोई नहीं
Q. 19. मिट्टी में खारापन एवं क्षारीयता की समस्या का समाधान है -
(1) खेतों में जिप्सम का उपयोग ✔
(2) शुष्क कृषि
(3) सघन वृक्षारोपण
(4) समोच्चरेखीय जुताई
Q. 20. राजस्थान के पूर्वी भाग में मिट्टी के उपजाऊ बने रहने का क्या कारण है?
(1) नियमित सिंचाई
(2) पर्याप्त वर्षा
(3) प्रतिवर्ष नवीन मिट्टी का जमाव
(4) उपर्युक्त सभी ✔
Q. 21. राजस्थान में जलोढ़ मिट्टी का क्षेत्र है -
(1) बीकानेर - जोधपुर
(2) बाड़मेर - जैसलमेर
(3) भरतपुर - धौलपुर ✔
(4) कोटा - बूँदी
Q. 22. वह मिट्टी जो राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा और पश्चिमी अजमेर जिले में प्रायः मिलती है -
(1) लाल-पीली मिट्टी ✔
(2) लुहारी मिट्टी
(3) काली मिट्टी
(4) काँप मिट्टी
Q. 23. मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए कौन सी खाद काम में ली जाती है?
(1) यूरिया
(2) अमोनियम सल्फ़ेट
(3) हड्डी की खाद
(4) गोबर व हरी खाद ✔
Q. 24. राजस्थान के किस पड़ोसी राज्य की सीमा पर नदी द्वारा भयंकर कटाव उत्पन्न होता है?
(1) गुजरात
(2) मध्यप्रदेश ✔
(3) हरियाणा
(4) पंजाब
Q. 25. भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए निम्न में से कौन-सी फसल उगाई जाती है?
(1) चावल
(2) गन्ना
(3) उड़द ✔
(4) गेहूँ
Q. 26. 'सेम' क्या है?
(1) जलमग्नता से उत्पन्न समस्या ✔
(2) मिट्टी का एक प्रकार
(3) कृषि का एक परम्परागत तरीका
(4) इनमें से कोई नहीं
Q. 27. राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि के विस्तार वाले जिले हैं -
(1) बांसवाड़ा और डूंगरपुर
(2) सवाई माधोपुर और करौली ✔
(3) कोटा और झालावाड़
(4) धौलपुर और अलवर
Q. 28. चंबल और माही बेसिन में मिलने वाली मिट्टी है -
(1) काली मटियार दोमट मिट्टी ✔
(2) लाल दोमट मिट्टी
(3) भूरी मटियार दोमट मिट्टी
(4) भूरी दोमट मिट्टी
Q. 29. राजस्थान में वायु द्वारा मृदा अपरदन से प्रभावित है -
(1) उत्तरी जिले
(2) पूर्वी जिले
(3) दक्षिणी जिले
(4) पश्चिमी जिले ✔
Q. 30. क्षारीय मिट्टी का पी० एच० होता है -
(1) 5 से कम
(2) 8.5 से अधिक ✔
(3) 0 से कम
(4) 10 से कम
Q.31 राजस्थान में पाई जाने वाली मिट्टियों में किसका क्षेत्र सर्वाधिक है?
1. रेतीली मिट्टी✔
2.जलोढ़ मिट्टी
3. लाल और पीली मिट्टी
4. मिश्रित लाल व काली मिट्टी
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tags: Rajasthan ki mitiya PDF, map, types in Hindi
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Note:- sscwill.in वेबसाइट में उपयोग किए गए मैप वास्तविक मैप से अलग हो सकते हैं। मैप्स को विद्यार्थियों की सुविधा के लिए सरल बनाया गया है।
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8 Comments
Great content
ReplyDeletePDF Quality is good
Good knowledge sir g
ReplyDeleteHelpful
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteUnable to download pdf ....Pls guide me..
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDeleteVery nice 👍👍
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